रविवार, 4 अप्रैल 2010

ढलती उम्र में सठिया गयें हैं शिबू सोरेन

झारखण्ड के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन सठिया गए है.उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है.मुख्यमंत्री बनने के पहले वे सांसद थे.मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें छः माह के भीतर विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करनी संवैधानिक वाध्यता है.लेकिन तीन माह से ऊपर हो रहे हैं,वे चुनाव लड़ने की बाबत कभी दुमका,कभी जामा तो कभी तोरपा सीट को लेकर पेंडुलम की तरह डोल रहे है.कहते हैं कि पिछली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस तरह से एक निर्दलीय प्रत्याशी राजा पीटर से परास्त हुये थे,उस हर का भूत उन्हें छोड़ने का नाम नहीं ले रहा. आजादी के इतने वर्षों बाद भी जंगली जीवन जीने को अभिशप्त आदिवासी समुदाय के एक बड़े तबके के बीच "दिशोम गुरू"के नाम से शुमार श्री सोरेन अपने प्रदेश में नक्सलवाद की कोई समस्या नहीं मानते है और खुद को सबसे बड़ा नक्सली बताते है.उन्हें ग्रीनहंट की कोई जानकारी नहीं है.गरीवों को सरकारी भीख के सहारे जीने वाला भीखारी बतातें है और कहतें है कि उनकी सरकार किसी को देने वाला कुछ भी नहीं है.

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