सोमवार, 16 नवंबर 2009

झारखण्ड : कौन बनेगा भाजपा का सीएम?

तीसरी बार अर्जून मुण्डा! भारतीय जनता पार्टी ने झारखण्ड मे जिसे स्टार बना रखा है,वह है पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान सांसद अर्जून मुंडा. प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बाद आपातस्थिति कहिये या आनन-फानन मे पार्टी के वरिष्ठ नेता कडिया मुंडा को एक बार फिर नजरन्दाज कर एक ऐसे नेता को पदभार दिया गया, जिसके पास न तो स्वतंत्र प्रशासनिक अनुभव था और न ही पार्टीगत जनाधार. श्री मुंडा की सबसे बडी काबलियत थी कि वे प्रदेश मे दूसरे नम्बर की पार्टी झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की गोद से उछलकर अचानक आ गये थे.तब भाजपा को शायद यह लगा था कि वे अपने साथ झामुमो के युवाझुंड को साथ लाकर मजबूती प्रदान करेगे.लेकिन हुआ ठीक उलटा. आज तक वे पार्टी के लिये इस कदर मजबूरी बन गये है कि आसन्न विधानसभा चुनाव मे टिकट बंटबारे मे सिर्फ उन्ही की चली है.

आज आजादी के इतने वर्षो बाद भी वेहद बदहाल इस प्रदेश मे खरीद-फरोख्त और जोड-तोड की कूटनीति की शुरूआत करने का श्रेय अर्जून मुंडा को ही जाता है. निर्दलीय मधु कोडा मुख्यमंत्री बनककर लूटेरो की फौज खडी कर ली. उनके राज मे सबो ने खूब छक कर मधु पिया. दरअसल श्री कोडा ने लूटो,लूटवाओ और राज करो के गुर श्री मुंडा से ही सीखे थे.

भाजपानीत प्रदेश सरकार मे वे पांच साल तक मुख्यमंत्री रहे. इस दौरान उन्होने राज्यहित मे कई गलत व विवादास्पद फैसले किये.उधोग के लिये उन्होने 52 एमओयू किया लेकिन, धरातल पर एक भी न दिखा. नतीजतन वे पार्टी के एक गुट के अगुआ बन कर रह गये है.

इन्हे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने मे दल के अन्दर ही प्रमुख दो प्रतिद्वन्दी प्रदेश अध्यक्ष रघुवर दास तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री व सांसद यशवंत सिन्हा के राजनीतिक प्रहार झेलने होगे.

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