मंगलवार, 10 नवंबर 2009

भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति चुप क्यों?

बाल-राज ठाकरे की बढती राष्ट्रीय गुंडागर्दी! हाल मे ही चीन ने कहा था कि जल्द ही भारत कई टुकडो मे बंट कर एक से अनेक देशो मे बंट जायेगा। आज विश्व के सबसे बडे लोकतांत्रिक देश के अनेक हलको मे जिस तरह के हालात दिख रहे है, काफी भय है कि कही चीन की भविष्य सच न हो जाये. सोवियत संघ रूस भी कभी एक मजबूत राष्ट्र था। लेकिन विदेशी ताकतो ने उसे भी भाषा, वर्ग,जाति,मजहब आदि के नाम पर तहस-नहस कर डाला। बहरहाल , रूख करते है देश की फिल्म नगरी मुम्बई की ओर, जहा बाल ठाकरे और उसका भतीजा राज ठाकरे जैसा गुंडा रहता है. इन दोनो चाचा-भतीजा के जीवन पर प्रकाश डाले तो मात्र यही स्पष्ट होता है कि कम से कम ये दोनो मराठी मानुष की हित मे कोई राजनीति नही करता है बल्कि सिर्फ गुंडागर्दी करता है. इन दोनो के पास कोई राजनीतिक कार्यकर्ता नही है,बल्कि महाराष्ट्र के समाज के गुंडे है। कहने का अर्थ वे किसी राजनीतिक दल के मुखिया नही अपितु गुंडा गैंग के सरदार है. कल राज ठाकरे के पूर्व घोषित ईशारे पर उसके गुंडे विधायको ने जो कुछ किया, वह भारतीय संविधान के तहत खुला देशद्रोह है. देश के विधान सभाओ मे मारपीट-तोडफोड की अनेक घटनाये हुई है लेकिन, उसके मुद्दे आपसी रहे है। राज ठाकरे ने जो मुद्दा उठाया है मराठी भाषा के जिस तरह से इस्तेमाल का हमारे राष्ट्रभाषा हिन्दी और उससे जुडे राष्टीयता का अंतिम अपमान है। इसकी कडी सजा मिलनी चाहिये। क्योकि उसके गुंडे विघायक ने राष्ट्रभाषा हिन्दी को लेकर विधानसभा के अन्दर एक विधायक अबु आजमी को तमाचा नही मारा है। हमारे संविधान को चुनौती है। इसकी हिफाजत की जबाबदेही एक आम नागरिक को तो है ही, सीधे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी इससे बच नही सकते. मेरी तो स्पष्ट मांग है कि बाल-राज जैसे चूहा-मेंडक को उसके बिल-कुआ से बाहर निकालो और सिर मुढाकर,उसके चेहरे कालिख से पोतकर, उसे गदहे पर बैठाओ. फिर उसे मुम्बई से समुचे देश मे घुमाओ और थूको भाजपा- कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलो के नेताओ के सामने,जिसने अपने राजनीतिक स्वार्थ मे आकर उन दोनो को आगे बढाया/बढा रहा है.

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