रविवार, 6 दिसंबर 2009

सुबोधकांत ने खेली मुख्यमंत्री बनने की दांव!

धन-बल की राजनीति करने का माहिर खिलाडी
आसन्न विधानसभा चुनाव मे यदि पूर्व के सारे समीकरण ध्वस्त हो गये और जोड-तोड की राजनीति मे गैर भाजपा सरकार बनने के आसार बने तो क्या कांग्रेस अपने गठबन्धन धर्म का पालन करते हुये झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो नेता बाबूलाल मरांडी को सरकार का मुखिया यानि मुख्यमंत्री पद से नवाजेगा?

यदि हम इस सवाल का गहराई से विश्लेषण करे तो इसका उत्तर काफी सन्देहात्मक निकलता है.जिसे जन्म दिया है झारखंड कांग्रेस के ईकलौते सांसद केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने.धन-बल और जोड-तोड की राजनीति के अत्यंत कुटिल खिलाडी ने कांग्रेस-झाविमो गठबंघन शर्त के विपरित श्री मरांडी के विरूध सरकार बनने की स्थिति मे अपनी पार्टी के तमाड प्रत्याशी रामदयाल मुंडा को मुख्यमंत्री बनाये जाने की घोषणा कर दी है.

राजनीतिक विश्लेषक इसे श्री सहाय की एक गहरी कूटनीतिक चाल मानते है.श्री सहाय की मंशा है कि दो आदिवासी नेता की जंग मे वे गैर आदिवासी नेता के रूप मे अपनी रोटी सेंक सकते है.यदि आसन्न चुनाव मे कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियो के बीच टिकट बंटबारे की बात की जाय तो इसमे श्री सहाय की ही ज्यादा चली है और अपने चहेते प्रत्याशियो को तन-मन-धन से मदद कर रहे है.ताकि चुनाव बाद पार्टी के भीतर बहुमत उनके पक्ष मे हो सके और दस जनपथ से भी हरी झंडी मिलने मे कोई दिक्कत हो.

एक स्थानीय समाचार चैनल ने तो बाकायदा उन्हे मुख्यमंत्री घोषित कर 24 घंटे प्रचार कार्य भी कर रही है.

लेकिन क्या श्री सुबोधकांत सहाय झारखंड के मुख्यमंत्री बन पायेंगे? यदि उनके राजनीतिक इतिहास और ताजा छवि का आंकलन करे तो यह सब असंभव सा प्रतीत होता है.क्योंकि जब तात्कालिन वित मंत्री विश्वनाथ सिह ने प्रधानमंत्री राजीव गान्धी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुये विद्रोह किया था,तब श्री सहाय भी उस टोली मे एक थे. उसके बाद बनी गैरकांग्रेसी सरकार मे वे केन्द्रीय मंत्री भी बने. फिर कई दलों से गुजरते हुये कांग्रेस मे शमिल हुये.इसी कारण पार्टी के एक बडा गुट इनका प्रखर विरोधी है.

वेशक आज श्री सहाय कांग्रेस मे जिस पायदान पर खडे है,वहाँ उनकी छवि राजनीति मे जन-बल के खिलाफ धन-बल के सफल प्रयोग करने वाले माहिर खिलाडी की बन गई है. जाहिर है कि जहाँ धन-बल शुरू होता है वहाँ भ्रष्टाचार की जड़ें और भी गहरी होती है.ऐसे मे कांग्रेस झारखंड मे व्याप्त भ्रष्टाचार को कितना बाँध पायेगी,कहना बहुत मुश्किल है. क्योंकि ये बात भी किसी से छुपी हुई नही है कि वहुचर्चित पूर्व कोडा सरकार के कारनामे को श्री सहाय का भी खुला समर्थन मिलता रहा था. कहा तो यह भी जाता है कि अरबों रूपये के घपलो-घोटालो का जांच झेल रहे पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा के जिस डायरी के पन्नो मे जिन लोगो के नाम दर्ज है,उनमें बिहार के एक बडे नेता के साथ श्री सहाय का नाम भी शामिल है.

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