रविवार, 24 अप्रैल 2011

रांची के दैनिक सन्मार्ग ने दिया मानवता का परिचय

बड़ा हुआ तो क्या हुआ,जैसे पेड़ तार-खजूर.
  पथिक को छाया न दे,फल लगे अति दूर

रांची की बड़े मीडिया हाउसों के बड़े-बड़े दावे.....कोई कहता हम हैं देश के नं.1....तो कोई कहता हम हैं झारखंड के नं.1....कोई तो यहां तक कहता है कि मैं अखबार नहीं,आंदोलन हूं....कोई कहता है कि सच है तो दिखेगा..कोई कहता है खबर से समझौता नहीं...

ऐसे दावे-प्रतिदावों के बीच अपनी अलग पत्रकारिता के बल मानवीय संवेदनाओं को आज छू गया.......रांची से नये तेवर-अंदाज में प्रकाशित दैनिक सन्मार्ग और उसके संवाददाता.मुझे यह जान कर इस अखबार को लेकर बहुत आत्म संतोष हुआ कि इसके छायाकार/संवाददाता करीव 25 किलोमीटर दूर चल कर पीड़ित के घर पहुंचे और मामले को प्रकाशित ही न किए..अपितु,प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू स्तर तक बात उठाई.......................

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