रविवार, 14 मार्च 2010

मूर्खता भरी यह कैसी खबर-पत्रकारिता?

झारखंड की राजधानी राँची से प्रकाशित दैनिक सन्मार्ग के प्रथम पेज पर छपी खबर का अवलोकन कीजिये.कौन मुल्ला-कठमुल्ला और कौन साधु-स्वाधु क्या कहता है.इससे कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन अखबार में इस तरह की खबर छपना-छापना किसी भी तरह से पत्रकारिता नहीं कही जा सकती.समझ में नहीं आता है कि महिला संसार की जननी है और उसे अलग से किसी का सृजन करने की आवश्यकता नहीं है.इतनी सी सरल बात आज-कल के संपादकों को समझ में क्यूं नहीं आती?समाचार और उसके शीर्षक का इस तरह की प्रस्तुति से मन घृणित हो उठता है.

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