शनिवार, 26 दिसंबर 2009

वाह री झारखण्डी राजनीति! वाह री झारखण्डी मीडिया!!

एक बार फिर झारखण्ड के सबसे बडे कद्दावर नेता बनकर उभरे झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के मुखिया शिबू सोरेन यानि गुरूजी को कोई गुरूघंटाल कहता था तो कोई झारखण्ड का सौदेबाज.कांग्रेस ने तो इधर उन्हें एक ऐसा बूढा शेर मान लिया था,जिसके नाखून-पंजे पूर्णतः झर गये हो.इलेक्ट्रानिक मीडिया हो या प्रिंटिग मीडिया वाले. गुरूजी को लेकर उनकी मानसिकता भी वही रही,जैसा कि गांव और शहर को लेकर दिखती है.अब सबके तेबर बदल गये है.अब हर कोई उन्हें दिशोम गुरूमान रहा है. मीडिया की चमचागीरी भी तो देखिये,झारखंड का हर अखबार उन्हें गुरू इज किंग तक छाप रहा है.केन्द्रीय मंत्री रांची के कांग्रेसी सांसद सुबोधकांत सहाय जैसे धन-बल की राजनीति के माहिर खिलाडी जो अपनी पार्टी के चुनाव संचालन समिति के संजोजक थे, उनसे मोटी-मोटी चुनावी पैकेज लेकर पक्षीय तस्वीर प्रस्तुत करने वालो का भी अचानक चरित्र बदल गया है.

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